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सवाल - जवाब

हाँ मुझे मालूम है 
कल मेरा इम्तहान था 
हाँ मुझे मालूम है 
कल मेरा इम्तहान है 
लेकिन उस इम्तहान का क्या होगा 
जो बरसों से चल रहा 
सवाल केवल चार है 
जवाब की तलाश अभी बरकरार है
सवाल पढ़ता हूँ तो मुस्कुरा देता हूं 
जवाब लिखते वक़्त आंखें नम हो जाती है 
मेरी उदासियाँ तुम्हें कैसे नजर आयेंगी? 
तुम्हें देखकर तो हम मुस्कराते हैं 
आज तो जवाब देना होगा 
बरसों पुरानी चुप्पी को खोना होगा 
वो नम आंखें, रातों का अंधेरा 
दिन में आते सपनें, सपनों में एहसास गहरा 
जुबि की सिलवटें, सिलवटो पर तुम्हारा नाम 
बनते बनते बिगाड़े है कितने काम 
मगर कुछ आदतों के चलते आबाद हूँ 
कुछ के लिए अच्छा कुछ के लिए बर्बाद हूँ 
कुछ चीजों का न होना भी सच्चा होता है 
जो होता है, अच्छा होता है 
- ©inkit_poetry
12:40 am

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