कितना कुछ जानती हैं ये दीवारें,
कितने ही राज़ दफ़न हैं इनमें,
कहीं हिस्सा करवाती हैं,
कहीं किस्सा बतलाती हैं,
कुछ दीवारें चूने सी सफेद हैं,
कहीं धब्बों का घेरा है
आधे हिस्से पर लिखा है तेरा नाम,
आधे पर बना तेरा चेहरा है।
अगर बात दीवारों की चली है,
तो हाँ, दीवारें मेरी कहानी का हिस्सा है,
जो कहानियाँ कभी मेरी हुआ करती थी,
वो तो अब एक किस्सा है।
दीवारें वीरों की वीरता का प्रमाण है,
इन्ही दीवारों की रक्षा में लगा हर एक जवान है।
बात बंटवारे की हो तो दीवारें,
बात आशियाने की हो तो दीवारें,
मामूली सी कुछ ईटों की नक्काशी है,
दीवारें अपने में ही देवभूमि और काशी हैं।
लोग कहते हैं दीवारों के भी कान होते हैं,
बिना दीवारों के अच्छे महल भी समशान होते हैं।
इन्ही दीवारों पर लिखना है मुझे तेरे संग अपना नाम,
खुदी की तलाश में बसी ये दीवारें,
जीवन की कहानी को जानती हैं ये ख़बरें।
जब रात के अंधेरे में दरकने लगता है दिल,
दीवारों की छाया में मिलती है आत्मा को शांति ....
-©inkit_poetry
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