कैंपस में गूंजें आवाजें,
छात्रों का उत्साह, हर ओर है बहार।
चुनाव की प्रक्रिया, अब हो चुकी है खत्म,
अब है नतीजों का इंतज़ार।
चमकीले पोस्टर, वादें की भरमार,
बड़ी रैलियाँ, चमचमाती गाड़ियाँ—सपने हजार।
लेकिन क्या ये वादे, होंगे सच्चाई में सफल?
या बस रहेंगे, पुराने जुमले कल?
हम लाएंगे बदलाव! क्या ये है ख्वाब?
क्या जब नतीजे आएंगे, हो पाएगा इसका हिसाब।
गलत स्पेलिंग के पोस्टर, सोचने पर मजबूर,
सच्चाई की कमी, क्या है ये सबका नूर?
हर साल की एक ही है कहानी,
उम्मीदें फिर भी होंगी,
चुनाव की रात, मन में सवाल होंगे।
किसका होगा सपना, किसकी होगी जीत?
कौन बनाएगा भविष्य, कौन करेगा प्रीत?
- inkit_poetry
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